आचार्य जी, आप कौन हैं?
मैं कौन हूँ, ये तुम पर निर्भर करता है।
तुम मुझमें जो पाना चाहोगे, वही देखोगे।
अगर तुम्हें बाज़ार से भिन्डी-लौकी खरीदनी है, तो मैं कोई नहीं हूँ। तुम यहाँ पाए ही नहीं जाओगे, यहाँ भिन्डी-लौकी का कोई काम नहीं। तुम्हें अगर किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का रोमांच लेना है, जो दुनियावी तौर पर सफल हो सकता था, पर हुआ नहीं — तो मैं वो हूँ। तुम आओ, और कह दो, “आज मैं एक ऐसे आदमी से मिलकर आया जो आई.आई.टी…