आगामी, संचित, और प्रारब्ध कर्म
कर्माणि कतिविधानि सन्तीति चेत्
आगामिसञ्चितप्रारब्धभेदेन त्रिविधानि सन्ति।
~तत्वबोध
कर्म कितने प्रकार के होते हैं?
आगामी, संचित और प्रारब्ध - तीन प्रकार के होते हैं।
ज्ञानोत्पत्त्यनन्तरं ज्ञानिदेहकृतं पुण्यपापरूपं कर्म
यदस्ति तदागामीत्यभिधीयते ।
~तत्वबोध
ज्ञान की उत्पत्ति के पश्चात ज्ञानी के शरीर के द्वारा जो पाप-पुण्य रूप कर्म होते हैं, वे आगामी कर्म के नाम से जाने जाते हैं।