आओ तुम्हें जवानी सिखाएँ

शरीर से जवान होने के लिए कुछ करना नहीं होता। समय के बहाव में बहना होता है बस। जानवर भी जवान हो जाते हैं। आंतरिक रूप से जवान होने के लिए बड़ी ईमानदारी चाहिए। नहीं तो ये बहुत संभव है कि आप शारीरिक तौर पर बच्चे से जवान हो जाएँ, फिर बूढ़े हो जाएँ, फिर मर भी जाएँ, लेकिन वास्तविक जवानी कभी घटने ही न पाए। शरीर अपनी यात्रा पूरी कर गया, चक्र पूरा घूम आया, और भीतर से क्या रह गए? अविकसित या अर्धविकसित; छौने से ही रह गए। यही ज़्यादातर लोगों का हाल भी तो है…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org