आओगे तो तुम भी राम के पास ही
10 min readNov 16, 2020
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प्रसंग:
प्रभु का रूप अतुल्य है
मन्दोदरी ने रावण से कहा, “यदि तुम्हें सीता को पाने की इतनी ही इच्छा है, तो तुम उसके पास राम का रूप धारण करके क्यों नहीं चले जाते?” तुम तो मायावी हो, माया का इतना उपयोग तो कर ही सकते हो। रावण ने उत्तर दिया, “राम का चिन्तन भी करता हूँ, तो भी इतनी गहन शांति मिलती है कि उसके बाद कहाँ छल कर पाऊँगा?” रावण कह रहा है कि मैं रावण सिर्फ़ तभी तक हूँ, जब तक मैंने राम को…