अहंकार मिटाने के लिए क्या करना चाहिए?

प्रश्नकर्ता: परमात्मा और हम, उसके बीच में अहंकार है। उस अहंकार की वजह से हम परमात्मा से मिल नहीं पाते। तो अहंकार मिटाने के लिए क्या करना चाहिए?

आचार्य प्रशांत: आपने पहले जो बोला, आप उस बारे में पूरी तरह आश्वस्त हैं क्या? “परमात्मा और हम, और बीच में अहंकार है” — आपको पक्का पता है कि ऐसा ही है कुछ है, या ये आप कहीं से सुन-पढ़ आए हैं?

प्रश्नकर्ता: नहीं, ये सुन-पढ़ आया हूँ मैं।

आचार्य प्रशांत: तो फिर पहले तो उस वाक्य को ही थोड़ा जाँच-परख लें! वो ज़्यादा अच्छा होगा न?

हम ही अहंकार हैं। हमें जुड़ना है किसी से क्योंकि हम ‘अपूर्ण अहंकार’ हैं। हम वो अहंकार हैं जो अपने विषय में धारणा रखता है कि वो अपूर्ण है, अधूरा है। तो वो फिर जाकर के इधर-उधर किसी के साथ संगत बैठाने की कोशिश करता है। वो अपना कुछ नाम रखेगा; वो अपने-आपको किसी सभा का, किसी बिरादरी का, किसी धर्म का, किसी कुटुम्ब का सदस्य बनाएगा; वो अपने-आपको नियमों में बाँधेगा; वो अपने-आपको परिवार में रखेगा। वो अपने साथ कुछ-न कुछ जोड़ेगा ज़रूर।

हम अपूर्ण अहंकार हैं। ‘परमात्मा’ का अर्थ होता है — पूर्ण अहंकार।

जिस अहंता को किसी से जुड़ने की ज़रूरत है, वो है अपूर्ण अहंता। और जो अहंता किसी से जुड़ना नहीं चाहती, वो है पूर्ण अहंता।

पूर्ण अहंता को ही ‘आत्मा’ कहते हैं।

परमात्मा और आपके बीच नहीं है अहंकार। आप परमात्मा को चुन नहीं रहे हैं, ये है अपूर्ण अहंकार। आपने परमात्मा के…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org