असली रण अपने विरुद्ध है

विश्राम, शांति मात्र शब्द नहीं हैं, कल्पनाएं नहीं हैं। विश्राम और शांति सिर्फ़ बात करने के लिए नहीं हैं, उन तक पहुँचना होता है, उनकी चर्चा नहीं करनी होती, और उन तक पहुँचने के मार्ग में हज़ारों बाधाएँ हैं, जिन में केंद्रीय बाधा तुम स्वयं हो।
रण का अर्थ ही है — अपने विरुद्ध खड़े हो जाना।
कबिरा रण में आइ के, पीछे रहे न सूर।