असली माँ कैसी?

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, आज आश्रम आते हुए मन ज़रा दुविधापूर्ण रहा, आँखें अश्रुपूरित थीं। ख्याल आ रहा था कि देर रात घर से बाहर रहूँगी जब की आज दोनों बेटे घर पर ही हैं। मन चाहता था उनके साथ समय बिताऊँ, घर से बाहर ना जाऊँ।

आचार्य प्रशांत:

जो आप अपने आपको मानते हैं, उसी के अनुसार आपको विचार आते हैं। जो आप अपने आप को मानते हैं उसी के अनुसार आपके लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा ये आप निर्धारित कर लेते हैं। और जो

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org