असली चीज़ फिर भूल गए
2 min readJul 16, 2020
--
एक बात समझ लेना कि कोई समय ऐसा नहीं आता जब तुम कह दो कि तुम्हें अब पुस्तकों की या सत्संगति की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर तुमने एक बार ये मान लिया कि साधना कल खत्म हो सकती है तो जान लेना कि वो अभी खत्म हो गई। जिस भी कुकृत्य की सम्भावना मन के लिए कल की बनती है मन उसे तत्काल कर देना चाहता है।
मन का काम क्या है? शुभ को वो टालता है और अशुभ को वो तत्काल कर गुज़रता है।