‘अप्प दीपो भव’ से क्या आशय है?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, सत्य को पाने के लिए एक तरफ तो गुरु की अपरिहार्यता बताई जाती है, मतलब उसके बिना संभव ही नहीं है। एक तरफ तो ये बात की जाती है दूसरी तरफ महात्मा बुद्ध कहते हैं कि ‘अप्प दीपो भव’ अपने दीपक स्वयं बनो!
आचार्य प्रशांत: तो ये बात तुम महात्मा बुद्ध से क्यों सुन रहे हो? गुरु की तो जरूरत ही नहीं है। जब गुरु की ज़रूरत ही नहीं है तो महात्मा बुद्ध की बात क्यों सुन रहे हो? तुमने उन्हें भी क्या बना लिया?