अपूर्ण से मुक्ति के साथ पूर्ण की संगति भी चाहिए
केवल इतना कहोगे कि वासना से मुक्ति पानी है तो छटपटा जाओगे। वास्तव में वासना से मुक्ति मन को दिलानी है या और सटीक होकर कहें तो अहम् को। अहम् को मुक्ति भर ही नहीं चाहिए बल्कि पूर्णता भी चाहिए। इसको अपूर्णता से मुक्ति चाहिए। उसकी हालत समझो। वो अपूर्ण है, अधूरा है, खोखला है। इसलिए उसने वासना को पकड़ा। अब तुम कह रहे हो मुक्ति चाहिए। अब जो भी सड़ा-गला उसने पकड़ रखा है, वो पकड़ ही अपूर्णता के कारण है। तुम्हें सिर्फ़…