अपराधी कौन?

भारत में कभी ऐसा नहीं हुआ है आजतक कि, यह सम्भावना है कि अगले दस-बीस साल में ही जो एवरेज टेम्परेचर है वह एक-दो डिग्री ही नहीं, तीन-चार डिग्री भी बढ़ सकता है, और याद रखना हम किसी छोटी जगह की बात नहीं कर रहे हैं, धरती के एवरेज टेम्परेचर की बात कर रहे हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ कि बड़े-बड़े शहर, महानगर, खत्म होने की कगार पर खड़े हैं, उसमें से कुछ तुम्हारे भारतीय शहर भी हैं; मुंबई, कलकत्ता। दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ कि आदमी के पास नाश की इतनी सामग्री हो कि धरती को सैंकड़ों बार नष्ट किया जा सकता हो उस से। दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ कि हर हज़ार लड़के जो पैदा होते हैं उनमें से दो सौ लड़कियां मार दी जाती हों। दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ कि रोज़ाना कई करोड़ जानवर क़त्ल किये जा रहे हैं, क्योंकि आदमी को उन्हें खाना है। दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ कि सैंकड़ों प्रजातियाँ; पेड़ों की, जानवरों की खत्म ही हो गयी हों। दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ कि बड़ी-बड़ी नदियाँ सूखने के कगार पर खड़ी हैं, कुछ सूख गयीं और कुछ सूखने को तैयार हैं। कानपूर के आगे की गंगा देखी है किसी ने? पानी पीना छोड़ दो, अगर तीन–चार घंटे उसमें हाथ डालकर बैठ जाओ तो हाथ सड़ जाए। बनारस की गंगा देखी है? क्या-क्या तैरता रहता है वहाँ, दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ था। सोचो ना! हर साल करोड़ों लड़कियां मार ही दी जा रही हैं, मॉस नरसंहार है और उसकी कोई ख़बर नहीं छपती। दो-चार मर जाते हैं कहीं, कोई एक्सीडेंट हो जाता है तो वह बड़ी ख़बर हो जाती है। करोड़ों! बिना बताए, चुपचाप, शांतिपूर्वक हत्या। दुनिया में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।

यह सारे क्राइम्स क्या क्रिमिनल कर रहे हैं जितने मैंने कहे? तुम्हारे बड़े-बड़े वैज्ञानिक…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org