अपनों की मौत इतना दर्द क्यों देती है
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प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अपने परिजनों की मृत्यु के साथ पीड़ा क्यों आती है?
आचार्य प्रशांत: दो बातें हैं मोटी-मोटी। पहली बात तो ये है कि जो कुछ भी अपना है वो अपनी हस्ती का, अपनी अस्मिता का अंग बन जाता है तो वो जब छिनता है तो ऐसा लगता है कि जैसे अपना ही कोई हिस्सा हमसे टूट गया हो, चिर गया हो, फट कर अलग हो गया हो। जैसे किसी अपने के गुज़र जाने से आंशिक मृत्यु हमारी भी हो गई हो। हम और होते क्या हैं? विशुद्ध होने को तो हम आमतौर पर जानते नहीं, ‘मैं’ को।
हम अपनी हस्ती को ‘मैं’ की अपेक्षा ‘मेरा’ के माध्यम से जानते हैं। हम अपनी हस्ती को अपने संबंधों से जानते हैं। आपसे कहा जाए, “अपने बारे में कुछ बताइए”, तो आप ग़ौर करिएगा कि आप उन सब वस्तुओं, व्यक्तियों, विचारों के बारे में बताएँगे जिनका आपसे संबंध है। आपसे कहा जाए, “नहीं किसी व्यक्ति का नाम लिए बिना, किसी वस्तु का उपयोग किए बिना अपने बारे में कुछ बताइए”, तो बहुत कठिनाई हो जाएगी।
आप शुरू करेंगे, आप कहेंगे “मैं वहाँ का रहने वाला हूँ।” टोक दिया जाएगा कि, “नहीं, किसी जगह का नाम लिए बिना अपने बारे में बताइए।” तो फिर आप कहेंगे, “ये जो दिख रहा है ये मेरा घर है।”
“न न न! किसी जगह का नाम लिए बिना अपने बारे में बताइए।”
“ये जो तस्वीर है ये मेरी है।”
“न न न! किसी वस्तु, चित्र, दृश्य का इस्तेमाल किए बिना अपने बारे में बताइए।”
“वो मेरा भाई है।”
“न न न! किसी व्यक्ति का नाम लिए बग़ैर अपने बारे में बताइए।”
“मैंने इतनी शिक्षा हासिल करी है।”
“नहीं नहीं, किसी उपलब्धि का नाम लिए बिना अपने बारे में बताइए।”
“मैं इस धर्म का हूँ, ऐसी-ऐसी मेरी मान्यताएँ हैं।”
“नहीं नहीं नहीं! इन सबका प्रयोग किए बिना अपने बारे में बताइए।”
दिक्कत हो जाएगी नहीं बता पाएँगे और ये जितनी चीज़ें हैं ये सब ऐसी ही हैं जो कभी-न-कभी छिन सकती हैं।
तो मैं क्या हूँ अपनी नज़र में? मैं उन सब लोगों का, घटनाओं का, स्मृतियों का, जगहों का, चीज़ों का एक सम्मिलन हूँ जिनसे मेरा नाता है, संबंध है। एक बहुत बड़ी टोकरी में वो सब चीज़ें रखी जा सकती हैं जिनसे मेरा संबंध है, तो मैं वो टोकरी हूँ। मुझे जब भी अपने बारे में कुछ बताना है मैं क्या करता हूँ? मैं उस टोकरी का सहारा लेता हूँ। उस टोकरी का सहारा ना लूँ तो मैं कुछ हूँ ही नहीं।
मैं अपने बारे में एक शब्द ना बोल पाऊँ अगर मैं उस टोकरी का सहारा ना लूँ तो। तो मैं क्या हूँ? मैं उस टोकरी की सामग्री…