अपने सपनों का अर्थ जानो

आचार्य प्रशांत: आखिर सपने मन से ही उठते हैं। मन की अवस्थाएँ भले ही अलग-अलग हों, लेकिन मन का जो मूल है, वो एक ही है। तीनों अवस्थाओं के नीचे, जो मन की वृति है, वो एक है। तुम जगते हुए जो इच्छा करते हो, और सोते हुए जो सपना देखते हो, वो बहुत अलग-अलग नहीं हो सकते। अगर अलग-अलग दिख रहे हैं, तो तुमने या तो अपनी इच्छाओं को नहीं समझा है या अपने सपनों को नहीं समझा है। इच्छाओं और सपनों दोनों का उद्गम एक ही है और वो वही है, एक भीतरी तलाश कि कुछ चाहिए, कुछ बचा हुआ है। उसको भौतिक रूप में मत ले लेना। जैसे कि जब जगे हुए हो, तब इच्छा तुम करते हो कभी इज्ज़त की, कभी गाड़ी, कभी नम्बरों की, कभी सुरक्षा की, कभी किसी व्यक्ति की, और तुम्हें लगता है कि यही हैं तुम्हारी इच्छा के विषय, कोई वस्तु। है न?

सामने गाड़ी का चित्र है या किसी इंसान का चेहरा है या कोई संख्या है, कि बैंक बैलेंस इतना होना चाहिए। इसी तरीके से सपने में भी तुम्हें कुछ चेहरे दिखाई देते हैं, कुछ वस्तुएँ दिखाई देती हैं, कुछ वस्तु, कुछ विषय। ये मत समझ लेना कि तुम्हारा सपना उनके बारे में है। सपना चाहे खुली आँखों से देखा जाए, चाहे बंद आँखों से देखा जाए, उसकी तलाश उसके विषय से आगे की होती है। तुम भले ही कोई छोटी सी चीज़ ही माँग रहे हो। तुम भले ही यह कह रहे हो कि, “मुझे एक घड़ी चाहिए” या भले ही तुम ये कह रहे हो कि, “मुझे किसी व्यक्ति का साथ चाहिए” लेकिन तुम्हें जो चाहिए, वो उस घड़ी और व्यक्ति से आगे का है। सपने इस मायने में ज़रा और महत्वपूर्ण और, और सांकेतिक होते हैं क्योंकि वो और गहराई से निकलते हैं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org