अपने सपनों का अर्थ जानो

आचार्य प्रशांत: आखिर सपने मन से ही उठते हैं। मन की अवस्थाएँ भले ही अलग-अलग हों, लेकिन मन का जो मूल है, वो एक ही है। तीनों अवस्थाओं के नीचे, जो मन की वृति है, वो एक है। तुम जगते हुए जो इच्छा करते हो, और सोते हुए जो सपना देखते हो, वो बहुत अलग-अलग नहीं हो सकते। अगर अलग-अलग दिख रहे हैं, तो तुमने या तो अपनी इच्छाओं को नहीं समझा है या अपने सपनों को नहीं समझा है। इच्छाओं और सपनों दोनों का उद्गम एक ही है और वो वही है, एक भीतरी तलाश कि कुछ चाहिए, कुछ बचा…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org