अपने करे संसार तो मिला नहीं, परमात्मा क्या मिलेगा
3 min readApr 4, 2021
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आचार्य प्रशांत: आदमी का मन ऐसा है कि वो हमेशा कार्य-कारण में जीना चाहता है। अपने से बाहर की किसी सत्ता को किसी हाल में स्वीकार करना नहीं है। वो यह कहता है कि संसार में जो हो रहा है उसके कारण हैं ही, मुझे जो मिला या नहीं मिला, मैं जो हुआ या नहीं हुआ उसके तो कारण हैं ही — परमात्मा भी मिलेगा या नहीं मिलेगा उसका कारण मैं ही रहूँ। तो कहता है कि मोक्ष भी यदि मिले मुझे तो मेरे श्रम से। कारण स्पष्ट रहे, मज़ेदार…