अपने अंधकार से दूसरों को कैसे रौशन कर पाओगे

पंडित और मशालची, दोनों सूझत नांहि

औरन को करै चांदना, आप अँधेरे मांहि

~ संत कबीर

आचार्य प्रशांत: चिराग की रोशनी तो फिर भी उसकी अपनी है, यहाँ तो मशाल पकड़ी हुई है, जो तुम्हारा हिस्सा भी नहीं। तुम मशाल नहीं हो, तुमने तो मशाल उठा ली है बस, और दावा तुम्हारा ये है कि तुम दुनिया रोशन कर रहे हो। उस मशाल का नाम कुछ भी हो सकता है, कबीर, अष्टावक्र…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org