अपनी हैसियत जितनी ही चुनौती मिलती है सबको
प्रश्न: आचार्य जी, प्रणाम। कई सालों से साधना कर रहा हूँ, कुछ समय से आपको सुन रहा हूँ, जीवन में स्पष्टता बहुत हद तक आई है। अब जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा हूँ, मेरी बीमारियों का पता चल रहा है। जैसे साधना में आगे बढ़ रहा हूँ, माया का हमला उतना ही ज़ोर से हो रहा है। साधना में और आगे बढ़ने के लिए मुझे क्या सावधानियाँ रखनी ज़रूरी हैं कि मैं साधना में आगे लगातार बढ़ सकूँ? कृपया बताएँ।