अपनी सीमाओं का ज्ञान
आचार्य प्रशांत: आप का विचार बहुत पैना हो सकता है। बहुत अभ्यास करा हो आपने, बहुत ज्ञान अर्जित किया हो, बुद्धि पर बहुत ज़ोर हो आपका, लेकिन फ़िर भी विचार आप भौतिक तल पर ही करोगे जब भी किया। विचार को कभी भी ये ग़ुमान, ये गर्व नहीं होना चाहिए कि वो सत्य तक पहुँच गया।
सोच सच नहीं होती। सोच सच तक पहुँच भी नहीं सकती। सोच सदा भौतिक विषयों के बारे में होती है और यही उसका सम्यक विषय और सम्यक उपयोग है कि भौतिक जगत के बारे में, भौतिक विषयों के बारे में आपको कोई अंधविश्वास भ्रांति, ग़लतफ़हमी ना रह जाए।
सोच का काम सत्य के बारे में तहक़ीक़ात करना नहीं है, सोच का काम असत्य के बारे में…