अपनी भाषा, अपनी बात, अपनी जिंदगी — यही है अध्यात्म
दिनांक ५ अक्टूबर’ १९ की शाम, विश्रांति शिविर, मुंबई के प्रतिभागियों द्वारा आचार्य जी का हर्ष व उल्लास के साथ स्वागत किया गया। फूलों से सुसज्जित सत्संग भवन में आचार्य जी का स्वागत प्रतिभागियों ने गुरु वंदना का एक स्वर में जाप करके किया।
आगमन के उपरांत आचार्य जी का सत्संग, कुछ इस प्रकार प्रारंभ हुआ।