अन्तर्भाव बोध नहीं
आचार्य प्रशान्त: विचार बाहर से आते हैं। निर्णय बाहर से आते हैं। और अंतर्भाव भी बाहर से ही आते हैं। हाँ, विचार सचेत होता है, दिखाई पड़ता है। पर अंतर्भाव का हमें पता ही नहीं चलता कि वो कहाँ से आ रहा है। तो हमें ऐसा लगता है कि शायद यह कहीं दूर की चीज़ है। कहीं दूर की चीज़ नहीं है ये।
क्या तुम्हें यह अंतर्भाव हो भी सकता है कि तुम स्पेनिश बोल रहे हो? चूँकि स्पेनिश तुम्हारे अनुभव में नहीं है तो तुम्हारे अंतर्भाव में भी नहीं आएगी। तुम्हारे…