अनुभव के पार निकल जाना
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, शिव और शंकर दोनों एक हैं, या अलग-अलग हैं?
आचार्य प्रशांत: जब उनको मूर्त कर दें तो कह दीजिए शंकर, जब अमूर्त हों तो कह दीजिए शिव। जब असीम हैं तो शिव हैं, जब साकार कर दिया, ससीम कर दिया तो कह दीजिए शंकर। कुछ भी जो असीम हो, अनन्त हो, निराकार हो, हमारी छोटी-सी बुद्धि की पकड़ में नहीं आता न, तो फिर हम उसको एक रूप दे देते हैं। जब रूप देंगे, तो नाम भी देंगे।