अनकहे को सुना तो अज्ञेय को जाना

आध्यात्मिक मन दुनिया को जितनी गहराई से समझता है, उतना संसारी मन कभी भी नहीं समझ सकता।

जिसने सूक्ष्मतम को समझ लिया, वो बाकी बातों के लिए बड़ा प्रवीण अपने आप हो जाता है।

उसको नहीं दिक्कत आएगी, बाकी दुनिया के सारे काम उसके लिए सध जाएँगे — ‘एक साधे सब सधे’।

फ़िर वो कुछ भी करने निकलेगा, बढ़िया ही करेगा, क्योंकि जो भी करने निकल रहे हो, वो दुनिया तो मन की ही है न।

उसने मन को ही समझ लिया है तो उसे सब समझ में आता है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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