अध्यात्म क्या है?

अध्यात्म क्या है?

प्रश्नकर्ता: अध्यात्म क्या है?

आचार्य प्रशांत: जानना आपका स्वभाव है। और अगर आप साधारण जानने से ही शुरू करें तो आप जो कुछ जानना चाहते हैं, उसके केंद्र में आप स्वयं हैं। अध्यात्म का अर्थ है–अपने-आप को जानना। जानने की बड़ी उत्सुकता होती है न? बिना जाने रह ही नहीं सकते। पता होना चाहिए न?

आँखें लगातार देख रही हैं, कान लगातार सुन रहे हैं, मन लगातार विचार रहा है, यह सब सतही रूप से जानने के ही उपकरण हैं। ‘जानना’ स्वभाव है। इसी कारण मन सूचनाओं को लेकर इतना उत्सुक रहता है। पर जितना कुछ भी आप जानना चाहते हैं दुनिया में, उसके केंद्र में आप बैठे हैं, उससे संबंध आपका है, उसको अर्थ आप के ही संदर्भ में मिल रहे हैं। समझ रहे हैं? जो भी आप ‘जानना’ चाहते हैं, उसको अर्थपूर्ण आपसे उसका संबंध ही बनाता है। तो यदि आपको एक दीवार को भी जानना है, तो आपको उसको जानना पड़ेगा, जो दीवार को ‘दीवार’ रूप में देखता है, वास्तव में जानना पड़ेगा। आध्यात्म का अर्थ होता है–पूरा जानना।

छोटी-मोटी जाँच-पड़ताल तो हर कोई करता रहता है। कोई ऐसा नहीं मिलेगा आपको, जो सूचनाओं से खाली हो। आप किसी से पूछ ना भी रहे हों, तो इंद्रियाँ सूचनाएँ इकट्ठा करती ही रहती हैं। जो समझदार मन होता है, वो इस जानने को उसके आख़िरी छोर तक लेकर जाता है। वो कहता है, “जब जानना ही है, तो पूरा क्यों न जानें? या तो कुछ ना जाने–ऐसा हो सकता, ऐसा तो हो नहीं पा रहा है, जानकारी तो हम लगातार इकट्ठी कर ही कर रहे हैं। ऐसा तो हो ही नहीं पा रहा कि ना जानें, तो क्यों न पूरा जानें?”

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org