अतीत को पीछे कैसे छोड़ें?

प्रश्नकर्ता: अपने अतीत से कैसे बचें? कुछ बातें कभी कभी आ जाती हैं जिनसे हम काफ़ी परेशान हो जाते हैं।

आचार्य प्रशांत: वो बातें तो आती ही रहेंगी अगर खाली जगह देखेंगी। मन ऐसा ही है जैसे ट्रेन का जनरल डिब्बा। सीट अगर घिरी नहीं हुई है तो पाँच लोग आ कर उस पर बैठने को तैयार हैं। और जनरल भी कहने की ज़रुरत नहीं, आरक्षित डब्बे में भी ये हो जाता है। घेर के बैठना पड़ता है ना? नहीं तो कोई भी आएगा और कब्ज़ा कर लेगा। फिर तुम याचना करते रहना। ज़ोर लगाते रहना। समय व्यर्थ करोगे, ऊर्जा व्यर्थ करोगे।

मन के पास अगर वो नहीं है जिसके लिए मन की गद्दी आरक्षित होनी चाहिए, तो फिर मन के पास बहुत सारा कूड़ा कचरा होगा, कोई भी आ कर मन पर कब्ज़ा कर लेगा।

कभी देखा होगा ना, जिसकी सीट है वो आया नहीं, फिर क्या होता है? अरे! क़तार लगी हुई है, कि वो हमें मिल जाएगी क्या? जिसकी गद्दी है उसको दो। और उसको बुलाओ कि आपके लिए ही है, आप आइये। आप नहीं होंगे तो दो तरफ़ा नुक़सान है। पहला नुक़सान तो ये कि आप नहीं होंगे, और दूसरा नुक़सान ये कि आपकी जगह बहुत सारे कीड़े-मकौड़े होंगे। वो आ कर के सारी जगह घेर लेंगे।

बात आ रही है समझ में?

जब भी कभी किसी सत्कार्य में डूब जाओगे, पाओगे कि अतीत लापता हो गया।

ना अतीत बचा ना भविष्य।

पर सही काम में डूबो तो! सही काम में डूबो, ध्यान में डूबो, जीवन में डूबो, आगा पीछा कुछ नहीं सताएगा। और जो करना चाहिए, वो कर नहीं रहे। जैसे जीना चाहिए, वैसे जी नहीं रहे। तो फिर तमाम चीज़ें परेशान करेंगी। यादें भी, उम्मीदें भी, लोगों की बातें, आते-जाते मौसम, बदलती परिस्थितियाँ, हर चीज़ तैयार रहेगी मन पर कब्ज़ा कर लेने को।

समझ रहे हो?

जीवन को एक सार्थक दिशा दो। मन को एक समुचित केंद्र दो।

खाली कुर्सी पर देखा है, धूल कैसे जम जाती है? पवित्र, क्या कह रहे हैं आप?

प्र१: वर्तमान में कैसे जिया जाए? बार-बार ये जो दायें-बायें चले जाते हैं!

आचार्य: दायें-बायें कहाँ जाते हैं आप? पहले तो ये बताईये।

प्र: वो विचार जो होते हैं, वो दायें-बायें बहुत जाते हैं।

आचार्य: हाँ, आप ये तब थोड़े ही कहते हैं कि विचार दायें-बायें जाते हैं। आप ही चल देते हैं विचारों के साथ। जातें कहाँ हैं? ये बताइए।

प्र: कभी भूत में चले जाते हैं।

आचार्य: वहाँ क्या है?

प्र: शायद मैं ये कर लेता तो वो हो जाता।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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