अतीत को पीछे कैसे छोड़ें?
प्रश्नकर्ता: अपने अतीत से कैसे बचें? कुछ बातें कभी कभी आ जाती हैं जिनसे हम काफ़ी परेशान हो जाते हैं।
आचार्य प्रशांत: वो बातें तो आती ही रहेंगी अगर खाली जगह देखेंगी। मन ऐसा ही है जैसे ट्रेन का जनरल डिब्बा। सीट अगर घिरी नहीं हुई है तो पाँच लोग आ कर उस पर बैठने को तैयार हैं। और जनरल भी कहने की ज़रुरत नहीं, आरक्षित डब्बे में भी ये हो जाता है। घेर के बैठना पड़ता है ना? नहीं तो कोई भी आएगा और कब्ज़ा कर लेगा। फिर तुम याचना करते…