अतीत की समस्याओं से छुटकारा कैसे मिले?

अतीत का सिर्फ़ दमित काम ही परेशान नहीं करता, अतीत से जो कुछ भी आपने संचित कर रखा है, और महत्वपूर्ण बना रखा है, वो सब कुछ ही परेशानी है।

सत्य की निरंतरता हमें उपलब्ध नहीं है, या यूँ कहिये कि सत्य की निरंतरता हमने चुनी नहीं है, इसीलिए उसके विकल्प के तौर पर हमको समस्याओं की निरंतरता चुननी पड़ती है। कुछ तो हमें चाहिए जो कभी हमसे छीने न। या तो वो सत्य हो सकता है जो कभी तुमसे छीनता नहीं, और जब वो तुम्हें मिला नहीं होता तो तुम समस्याओं को पकड़ लेते हो और ऐसा पकड़ते हो कि तुमसे कभी छीने न। इस गलत चीज़ को इतनी ज़ोर से पकड़ने की जगह उसको पकड़ लो न जो सदा साथ रहेगा तुम्हारे। एक बार तुम उसके साथ हो लिए, फिर दूना लाभ होगा। पहला तो ये कि तुम मग्न हो जाओगे और दूसरा ये कि लोग तुम्हारे ठेले पर कचरा फेंकना भी बंद कर देंगे। एक ठेला जो कचरे से लदा हो, उस पर और कचरा फेंका जाता है कि नहीं? और एक ठेला जो साफ़ हो, उसपर कोई कचरा फेंकता है? मुश्किल से ही कोई फेंकेगा। और एक तीसरा ठेला हो, जिसपर कृष्ण की मूर्ति बैठी हो, उसपर कोई आएगा कचरा फेंकने? अपने कचरे को हटाओ और उसपर कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर दो, ठेला हल्का चलेगा।

जब तक तुम ये जानोगे नहीं कि तुमने समस्याओं को क्यों पकड़ रखा है, तब तक तुम्हारे पास समस्याओं को पकड़ने के लिए कोई न कोई बहाना बचा ही रहेगा। समस्याएं हमारा चुनाव होती हैं। हमारे पास कारण है समस्याओं को पकड़ने का।

जो आदमी अतीत की समस्याओं को बहुत याद रखता हो, समझ लेना उसके भीतर कोई बैठा है जो परमात्मा का विरोधी है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org