अच्छा काम करने में डर की बाधा

आचार्य प्रशांत: मनीष ने कहा है कि जब भी कोई अच्छा काम करना चाहता हूँ, तो भीतर से एक डर उठता है जो उस काम को करने से रोकता है। सत्र में आने से पहले भी ऐसा ही होता है।

तो तुम आ गए ना सत्र में? बस, उस डर के साथ यही सलूक किया करो। उसका क्या काम है? रोकना। और तुम्हारा क्या काम है? आना। उसे अपना काम करने दो, तुम अपना काम करो। वो जो भीतर है ना, वो भीतर हो के भी ज़रा पराया है। उसको समझना। मनीष, जो ये भीतर है ना, जो कुछ…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org