अगर दिमाग कुछ नया पाने के लिए बेचैन हो

एक ख़ास चीज़ है जिसकी मन को आवश्यकता है, एक ख़ास बात है जो मन को जाननी है, कुछ भी साधारण - सामान्य नहीं चलेगा। जब वो विशिष्ट चीज़ आप मन को नहीं देते हैं जिसकी मन को आवश्यकता है तब मन हजारों छोटी - मोटी व्यर्थ चीज़ों के पीछे दौड़ने लग जाता है।

वह ख़ास चीज क्या है? इसे समझने की शुरुआत नकार के तरीके से करनी होती है। देखा जाता है कि कौन-कौन से रास्ते हैं जिन्हें हम पहले ही आजमा चुके हैं। और फिर ऐसे रास्तों को बिलकुल बंद कर देना चाहिए। जिन रास्तों से कभी किसी को तृप्ति और संतुष्टि नहीं मिली, उन रास्तों से उम्मीद लगाए रखना व्यर्थ है।

इसके बाद आप स्वयं को ऐसी स्थिति में पाएंगे जहाँ आपको नया रास्ता या नया ज्ञान तो नहीं मिला और पुराने सांत्वनाप्रद रास्ते भी बंद हो चुके हैं। इस स्थिति में कुछ दिन। कोई न कोई रास्ता फिर अपने आप खुलता है, जो कभी गलत नहीं हो सकता।

आपने नए ज्ञान की बात की है इसलिए इस प्रक्रिया में वेदांत आपका साथ दे सकती है। वेदांत का काम है आपके मन में जो पूर्व स्थापित ज्ञान है उसको नकारना, उसकी सीमायें दिखाना और आपको ज्ञान के नीचे जो ज्ञाता बैठा है उसतक लेकर जाना।

जब आप अपने कष्ट की असलियत जान लेते हैं तब आप कष्ट से स्वयमेव मुक्त हो जाते हैं ।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org