अगर घर में सब सुविधा है, तो भी क्या महिला का कमाना ज़रूरी है?

जीवन के कुछ सिद्धांत होते है और वो सिद्धांत अटूट होते हैं, सब पर लागू होते है। मन का, जीवन का एक सिद्धांत होता है कि जीवन मुक्त व्यक्ति को छोड़ करके कोई भी किसी के लिए भी निस्वार्थ भाव से कुछ नहीं कर सकता। जब तक किसी में अहम् कायम है, वो उस अहम् की पूर्ति के लिए ही करेगा, जो कुछ करेगा। जब तक किसी में अहम् है, उसमें कर्ताभाव भी होगा, तो उसका एक-एक कर्म बस कर्ता के स्वार्थों की पूर्ति के लिए होगा। इसका जो एक मात्र अपवाद होता है वो आध्यात्मिक रूप से बहुत ही उन्नत व्यक्ति होता है, वही ऐसा होता है जो अपने लिए जीने और अपने लिए ही कर्म करने की अनिवार्यता से मुक्त हो गया होता है।

अगर आपके पति-देव एक साधारण व्यक्ति है तो मुफ्त ही आपको कुछ नहीं दे रहे होंगे, ये नियम है, जीवन का और अहम् का, मुफ्त कोई किसी को कुछ नहीं देता। लेन-देन में जो फँसा वो मुक्त कहाँ से हुआ?

मेरा बस इतना निवेदन रहता है कि इतना कमा लो कि तुम्हारी रोटी कर्जे की न हो।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org