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अकेले होते ही छा जाती है बेचैनी

जो काम कर रहे हो और जिसके साथ कर रहे हो, उसमें अगर दम ही होता तो उस काम ने तुम्हारा पूरा दम निचोड़ लिया होता। दिक्कत शायद उन क्षणों में नहीं है जब अधूरेपन का अनुभव होता है, दिक्कत वहाँ पर है जहाँ इस खालीपन का अनुभव नहीं होता है। काम क्या बनता जाता है? आंतरिक हकीकत को छुपाने का बहाना। अपने आप को व्यस्त रख लो, कुछ सोचने, समझने का मौका ही नहीं मिलेगा।

सही काम करने का एक बढ़िया फ़ायदा ये होता है कि काम के बाद हाजमा अच्छा रहता है और नींद बढ़िया आती है। और ये सब ख्याल नहीं बचते खालीपन, अधूरापन। समस्या तुम्हारे दिनभर की गतिविधि में है। सही काम करो और करते ही जाओ। जीवन में सही काम उठाना सीखो और उसमें पूरी तरह डूब जाना। जो ये नहीं करेगा उसको ज़िन्दगी बहुत बुरी सज़ाएँ देती है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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