अकेले होते ही छा जाती है बेचैनी
जो काम कर रहे हो और जिसके साथ कर रहे हो, उसमें अगर दम ही होता तो उस काम ने तुम्हारा पूरा दम निचोड़ लिया होता। दिक्कत शायद उन क्षणों में नहीं है जब अधूरेपन का अनुभव होता है, दिक्कत वहाँ पर है जहाँ इस खालीपन का अनुभव नहीं होता है। काम क्या बनता जाता है? आंतरिक हकीकत को छुपाने का बहाना। अपने आप को व्यस्त रख लो, कुछ सोचने, समझने का मौका ही नहीं मिलेगा।