अकेलापन दूर कैसे करें?

अकेलापन झूठ है क्योंकि जो अकेला है, वो अकेला है नहीं। जो अकेला होता है उसकी तो सारी समस्याएँ खत्म हो जाती हैं।

अकेलापन कभी बीमारी नहीं होती, अकेलेपन का तो वास्तविक अर्थ होता है कि दूसरे को लेकर परेशान होना, दूसरे को लेकर प्रभावित होना, दूसरे का व्यर्थ संज्ञान लेना, छोड़ दिया, अकेले तो हम कभी होते ही नहीं।

वो अवस्था जिसे आप कहते हो, अकेलापन, सूनापन, वास्तव में वो अवस्था होती है जब आप भीड़ से घिरे हुए हो, जब आपके दिमाग में भीड़ का उपद्रव चल रहा है। ये शब्दों की विडंबना है कि आप अपनी भीड़ युक्त अवस्था को अकेलापन बोल देते हो।

अकेलापन उस दशा का नाम है, जब आपके दिमाग में पचासों बातें, पचासों लोग, पचासों विचार और प्रभाव उथल-पुथल मचा रहे हो, तब आप कहते हो अकेलापन।

उस अवस्था में अगर कोई दूसरा मिल जाता है तो आप दूसरे पर क्रेंदित हो जाते हो, उस भीड़ से थोड़ी देर के लिए मुक्त हो जाते हो तो फिर आप कहते हो कि अकेलापन दूर हुआ, अकेलापन नहीं दूर हुआ है, भीड़ दूर हुई है। जो अकेला कह रहा है अपने आपको वो वास्तव में भीड़ का शिकार है।

अकेलेपन को अब कभी समस्या मत बोलना, अकेलापन आध्यात्मिक भाषा में कैवल्य कहलाता है और वो उच्चतम अवस्था है, उससे अच्छा कुछ नहीं होता। हम अकेले नहीं होते, ये समस्या है। जब भी लगे कि बहुत सूनापन है, अकेलापन है, तो देखलो कि किसकी याद सता रही है, देखलो कि क्या आकर्षित कर रहा है, वो आकर्षित कर रहा है और तुम्हें मिल नहीं रहा इसलिए तुम्हें सूनापन लग रहा है।

दुनिया को ये अनुमति कभी नहीं देनी चाहिए कि वो तुम्हारे दिमाग पर चढ़ कर बैठ जाए। पर हम अनुमति तो छोड़िये, आमंत्रण देते हैं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org