अंधेरा क्यों लुभाता है?

हम सब तो चैन के दीवाने होते हैं, गुफ़ा में कुछ चैन मिल रहा होगा इसीलिए गुफ़ा में हो। उस चैन की गुणवत्ता क्या है? ये देख लो। गुफ़ा में कोई भी अनायास नहीं होता। आदमी कहीं भी अनायास नहीं होता। हम जहाँ भी होते हैं, जैसे भी होते हैं, किसी कारण से होते हैं। वो कारण होता है- हमारा अपना चयन, हमने चुना होता है, यूँ ही कुछ नहीं होता हमारे साथ। और हम क्यों चुनते हैं? आदमी जब भी चुनता है अपनी दृष्टि में शांति को ही चुनता है, चैन को ही चुनता है। उसका चुनाव गलत हो सकता है पर चुनाव का लक्ष्य तो हमेशा सही होता है।

लक्ष्य क्या होता है? शांति, चैन।

तो गुफ़ा के भीतर भी कोई क्यों पाया जाएगा? गुफ़ा में उसे कुछ मिल रहा है, कुछ ऐसा मिल रहा है जिसे उसने चैन समझ रखा है। कुछ ऐसा मिल रहा है जिसे लेकर के उसे संस्कार या सीख या शिक्षा दे दी गयी है कि ये चैन है, शांति है, सत्य है, ये बढ़िया चीज़ है। वहाँ कुछ मिल रहा होगा, इसीलिए वहाँ मौजूद हो।

अभी ये न कहो कि गुफ़ा के अंदर बेचैनी है, उस बात को हटाओ। अभी ये देखो कि गुफ़ा में आकर्षण क्या है? ठीक है? अभी ये नहीं देखना है हमें कि गुफ़ा में बेचैनी है, अभी हमें ये देखना है कि गुफ़ा में हमें चैन क्यों मिल रहा है? और चैन मिल रहा है ये बात निर्विवाद है क्योंकि तुम गुफ़ा में हो, अन्यथा तुम वहाँ होती नहीं। पता करो कि गुफ़ा में क्या है जो तुमको रोके हुए है? क्या है जो तुम्हें बाँधता है? क्या है जो तुम्हें प्यारा है? पता करो साफ-साफ।

कुछ तो है, हो सकता है बहुत कुछ हो। देखो कि कहाँ मोह की डोर है? कहाँ ममता का धागा है? देखो कि कहाँ…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org